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Wednesday, October 31, 2012

अब तुम जवाँ हो


जब तुम्हें देख .....
हवा सीटी बजाने लगे
पहाड़ों पर
जमी बर्फ पिघलने लगे
और
प्रणय -लीला में लीन
मोर-मोरनी का जोड़ा ठीठक जाय
यकीन मानों...
अब समय
आपके आँचल उड़ाने का नहीं रहा //

Saturday, October 27, 2012

स्त्री


खिलते गुलाब सी
चेहरे वाली
चाँद सी दिखने वाली
हरश्रृंगार के फूलों सी
मुस्कुराने वाली
कमल के पत्तों सी
चिकनी त्वचा वाली
मोरनी सी चलने वाली
नवयौवना ....
कभी नागिन भी बन सकती है //

फिर भी मैं
उनके कसीदे गढ़ता रहूंगा
क्योकि ...
उनसे ही सृष्टी है ..//

Saturday, October 20, 2012

गुमान


 इन गुलाबी होठों में बस्ती है मेरी जान
 अब प्यार करो या जारी कर दो फरमान //
तुमसे मिलना ,एक अनजाने रब से मिलना
आपको पाकर मुझे क्यों न हो  गुमान //

इन्द्रधनुष

अगर बूंदें न लटकती
आसमान में
तो इन्द्रधनुष ये कैसे बनता //


अगर तुम न आती
मेरे दिल में
तो जिंदगी ये कैसे चलता //

Tuesday, October 16, 2012

सोहबत


मैं रूपोश  में फिरता था , रुआब के लुट जाने से
आपकी सोहवत ने ,तो ,   मेरा रूतबा बढ़ा दिया //

आपकी चहलकदमी से, शबनम को शबाब आ गया
ज्योही रुख से नकाब हटा, सामने महताब आ गया //

(रुआब -- रोब , रूपोश - मुह छिपाने वाला , सोहबत -संगती ,शबाब - जवानी , महताब - चाँद)

Thursday, October 11, 2012

लस्सी


तुम्हारी बातें ..
आम के अंचार खाने जैसी लगती है
या फिर
ठेले पर बिक रही
गुपचुप और चाट खाने जैसा
कभी -कभी तुम्हारी बात
इडली और माशालदोसे
खाने जैसी लगती है //
और कभी-कभी
करेला का रस पीने जैसा //

ऐसा कभी नहीं लगा मुझे
तुमसे बाते कर
जैसे मै....
पी रहा होऊं
शहद और मकरंद की लस्सी

Monday, October 8, 2012

आओ ! खेलें प्यार-प्यार


प्यार डंक है
प्यार है पंख
आओ बजाएं प्यार का शंख //

प्यार नदी है
प्यार है झरना
फिर क्यों डरना //

प्यार आम है
प्यार है लीची
इसके खातिर तुम बन  जाओ दधिची //

प्यार जलेबी
प्यार है हलवा
सबको दिखाओ इसका जलवा /

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