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Sunday, March 4, 2012

प्यार की पिचकारी में छेद



गुम-शुम क्यों हो बैठी,गोरी
चलो प्यार की फुलवारी में
संभल कर चलना मेरे हमदम
कहीं फंस न जाओ झाड़ी में //

कर ना देना छेद कभी
प्यार की इस पिचकारी में
कही छुट न जाए नमक
प्यार की इस तरकारी में //

मैं कब -तक रहूं अनाड़ी
देखकर तेरी भींगी साडी
हरदम रंग से भरा रखता हूँ
मैं अपनी प्यारी पिचकारी //

23 comments:

  1. बेहद खुबसूरत व प्रभावी रचना|

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  2. बेहद खुबसूरत व प्रभावी रचना|

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  3. होली है... छेद भरने के लिए... सुंदर रचना

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  4. खुबसूरत रचना.... प्रभावी

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  5. सौन्दर्य प्रधान रचना..

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  6. आभार ||

    दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक
    dineshkidillagi.blogspot.com

    होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
    कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।

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  7. sundar rachnaa Baban bhaai...

    गुम-शुम क्यों हो बैठी,गोरी
    चलो प्यार की फुलवारी में
    In do panktiyon ne man moh liya.......

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  8. sundar hai ..... prem ras se bhari .....
    thanks .....
    Anu ....

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  9. प्यार के रंगों से भरी लगी आपकी रचना....

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  10. वाह ! बहुत खूब... पिचकारी में छेद.... होली है..........

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  11. हम तुम पे मर मिटे तो ये किसका कुसूर है ?
    आइना ले के हाथ में खुद फैसला करो,....
    बबन जी,.. रंग बचा कर रखे पिचकारी में,होली में अभी देर है....
    बहुत बढ़िया भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...

    NEW POST...फिर से आई होली...
    NEW POST फुहार...डिस्को रंग...

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  12. Jeewan me Basant ka rang gholti pyari rachna.

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  13. bahut sunder bhav dhnyawad

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  14. बहुत सुन्दर प्रस्तुति... बहुत बहुत बधाई...

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  15. वाह ! बेहद खुबसुरत रचना है.

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