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Wednesday, November 16, 2011

बसंत आने पर


( बसंत की माया बहुत ही प्रसिद्द है .....देखिये क्या होगा बसंत आने पर )

पत्ता-पत्ता हुआ पल्लवित
फूलों पर बिखरी है आभा
बूढ़ा मन भी युवा हो गया
देख बसंत की माया //

जाग उठी है अब तरुनाई
सुन बसंत की शहनाई
पाकर सुरमई नई कोंपलें
निखर उठी तरुवर की काया //
बूढ़ा मन भी युवा हो गया
देख बसंत की माया //


आ गई रुखसार पर लाली
गाती अब पायल और बाली
सजनी देख साजन मुस्काया
देखकर साली , बहका जीजा //
बूढ़ा मन भी युवा हो गया
देख बसंत की माया //

6 comments:

  1. बहुत सुंदर कविता बब्बन जी

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  2. बसन्त आने पर आपकी कविता भी याद आयेगी।

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  3. ab to basant ka intezaar karna hi padega bhai... beech me sardi abhi baaki hai... kavita achchhi bani hai... badhai...

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  4. पत्ता-पत्ता हुआ पल्लवित
    फूलों पर बिखरी है आभा
    बूढ़ा मन भी युवा हो गया
    देख बसंत की माया //

    सुन्दर रचना , बधाई.

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  5. बबन जी क्या खूब लिखा,
    निखर उठी तरुवर की काया बूढा मन भी युवा हो गया..सुंदर पोस्ट .
    मेरे पोस्ट पर भी आइये,स्वागत है ....

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  6. शिशिर में वसंत सुन्दर रचना , बधाई.

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