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Sunday, October 30, 2011

मेरी माधवी


मीठी मुस्कान और हंसी निराली
शांत चित वाली जैसे कोई साध्वी
गंध छिपे हैं जैसे सुमन में
वैसी ही हो तुम,मेरी माधवी //

मैं पौधा ,तुम लता अनजानी
आओ कर ले ,दो बातें रूमानी
हर पथ पर हैं ,कांटे -कटीले
फिर भी तुम गाती राग ताण्डवी //

(ताण्डवी - संगीत का एक राग )

2 comments:

  1. खूबसूरत प्रस्तुति , आभार .

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  2. बबन पाण्डेय जी,..आप भी क्या खूब लिखते है..मै पौधा,तुम लता अनजानी...सुंदर प्रस्तुति

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