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Monday, October 31, 2011

आई लव यू


मैंने कितनों को
आई लव यू कहा
बिना उसका मतलब समझे
कहने में क्या लगता है //

लताओं ने मुझसे कहा
मैंने भी कहा "आई लव यू " शाखाओं को
अब उससे लिपटी रहती हूँ //

साँपों ने मुझसे कहा
मैंने भी कहा "आई लव यू " चन्दन के वृक्ष को
अब उसे लिपटा रहता हूँ //

अब मैंने भी समझ लिया है
आई लव यू का मतलब
अब सोचकर /समझकर
किसी एक को बोलूंगा //

Sunday, October 30, 2011

मेरी माधवी


मीठी मुस्कान और हंसी निराली
शांत चित वाली जैसे कोई साध्वी
गंध छिपे हैं जैसे सुमन में
वैसी ही हो तुम,मेरी माधवी //

मैं पौधा ,तुम लता अनजानी
आओ कर ले ,दो बातें रूमानी
हर पथ पर हैं ,कांटे -कटीले
फिर भी तुम गाती राग ताण्डवी //

(ताण्डवी - संगीत का एक राग )

Saturday, October 29, 2011

तुम हो तो !!


तुम हो तो
चहूँ ओर बसंत
तुम नहीं तो
हर मौसम का अंत //

तुम हो तो
मेरी कुछ नहीं चलती
तुम नहीं तो
मेरी डफली बजती //

तुम हो तो
चहूँ ओर है मेला
तुम नहीं तो
हर तकिया गीला //

Saturday, October 22, 2011

प्रेम-नगाड़ा


सुना दो सांसों की सरगम
आज मिला लो उर से उर
बजने दो अब प्रेम नगाड़े
कसम तुम्हें है मेरे हुज़ूर //

उर के घर्षण की ऊर्जा से
खूब बहकता दिल का इंजन
कभी रेंगता,कभी सरपट दौड़ता
बिना लिए अब कोई इंधन //

जब घर्षण में इतनी ऊर्जा है
तो चुम्बन में कितनी होगी
ओ कामिनी ,मेरा कामदेव जगा दो
अपने उर का सोम-रस पिला दो//

Tuesday, October 11, 2011

अब चैन कहाँ


कचनार सी कमर लचीली
और चुम्बक हैं तेरे नैन
नींद नहीं अब आँखों में
न आता दिन में चैन //

बिन पिए अब मैं ,बहकता
बिन कारण के हँसता -रोता
बिन पंख मैं उड़ता रहता
मैं कहता, अब दिन को रैन //

Thursday, October 6, 2011

तेरी आँखें


तुम मेरे नैनों की ज्योति
देख तुम्हें छाती हरयाली
बिन देखे तेरा सुन्दर मुखड़ा
दिल भटकता जैसे बोतल खाली//
तुम बिन मैं ,बिन डोर पतंग
बिन सुरभि जैसे कोई सुमन
खोलो अपने नैन नशीले
मुझे पिला दो पूरी प्याली //




स्वेत कमल पर हो बैठे
दो काले भवरे जैसी आँखें
शशि आई है तुम्हें खोजने
कर दो अब यह रैन मखमली //

कभी हभी गुलज़ार हैं आँखें
कभी पजी तलवार है आँखे
तेरी आँखों में छुपा खजाना
करना है अब मुझे रखवाली //

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