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Friday, February 18, 2011

शब्दों से श्रींगार करूंगा


ना है गाडी
ना है बंगला
कैसे मैं तुमको प्यार करूंगा
मत घबराना मेरी सजनी
शब्दों से श्रींगार करूंगा //

पहनाऊ मैं, प्रेम का कंगना
और स्नेह का पायल
नभ के तारों से मैं
नित तेरी मांग भरूँगा //
मत घबराना मेरी सजनी
शब्दों से श्रींगार करूंगा //

(चित्र गूगल से साभार )

Thursday, February 17, 2011

काम -हवा


फागुन की इस काम हवा में
मैं क्या बोला,तू क्या बोली
देख तुम्हारा रूप कामिनी
रोज करू एक नया ठिठोली //

रंग लगाउंगा अंग -अंग में
आ जाने दो होली
कोई बिगड़े ,कोई झगडे
या फिर चल जाए गोली //


उर के ऊपर -नीचे होने से
हांफ रही है तेरी चोली
रंग लगाने तेरे तन पर
खड़ी, देवरों की टोली //

Wednesday, February 16, 2011

जब तुम आई मेरे संग


तेरे हंसने से हुआ सबेरा
और मौसम ने बदला रंग
तपती धूप पर छाई बदरा
जब तुम आई मेरे संग //

शबनम मोती बन जाती है
देख तुम्हारा चाल रुमाली
तेरे अधरों से रंग मांगती
रोज पूरब की लाली //

तुम्हें देख , पवन बसंती
नक़ल उतारती और इठलाती
उलझे गेसू देख तुम्हारे
काले बादल भी बलखाती //


रह -रह कर बिजली सी कौधे
तेरे मोतियों की माला
रूप तुम्हारा देख चांदनी
कौन लगाए मुंह पर ताला //

Thursday, February 10, 2011

नीलगगन सी तेरी साडी


नीलगगन सी तेरी साडी
गहने चमके जैसे मोती
आओ प्रिय ,अब साथ चले
हम बनके जीवन साथी //

उपवन के फूलों सी जैसी
खुशबू तेरे बालों की
परागकणों से लदे हुए
क्या कहने तेरे गालों की //


यौवन की चादर में लिपटी
तेरी कंचन चितवन काया
रहकर तेरे संग- संग
अपने को सुवासित पाया //

अधरों का रस अमृत जैसा
नैन तुम्हारे गाए गीत
मखमली देह देख तुम्हारा
कामदेव नित मांगे भीख //

मैं तेरी कूँची बन जाऊ
तू बन जा मेरी कविता
दिन -रात चमकेंगे नभ पर
बन कर शशि और सविता //

Monday, February 7, 2011

लडकियों के चहकने के कारण

कई कारण है ....
लडकियों के चहकने के

वे चहकती है
स्कूल में /कालेज में
जब आँखें चार होती है
शादी की बातों में भी
जब माँ करती है
बात बाबूजी से //

वे चहकती है ....
जब मनचाहा वर मिलता है
नई साडी /नए गहने //

वह चहकती है ...
जीजा की दिल्लगी में
तो देवर के ताने में भी //

वे चहकती है ...
माँ बनने के बाद
और सह लेती है
अनेकों दुखः हँसते हँसते//

मगर हम पुरुष चहकते है
जब पैसे खनकते है //

Tuesday, February 1, 2011

संकल्प

संकल्प ....यानि शपथ
संकल्प ...
क्या यह दिल की आवाज है
या फिर जुबां से निकले छिछले शब्द
क्या संकल्प तोड़ने के लिए किये जाते हैं !

डाक्टर -मानव सेवा का संकल्प लेते है
पुलिस -देश सेवा का
जज -न्याय को निरपेक्ष रखने का
और नेता - जन सेवा का
हम अग्नि के समक्ष संकल्प लेते हैं
जीवन के अंतिम स्टेशन तक साथ चलने की
अपने जीवन -साथी के साथ
यह संकल्प कोई नहीं लेता कि
वह बनाएगा रुपयों का एक पुल !!

फिर यह संकल्प टूट क्यों जाता है
संकल्प नहीं देता इजाजत
बार-बार लीक बदलने की !!

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